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paachan tantra

                                                                              जंतु ऊतक 
उत्पत्ति ,सरचना एवं कार्यो वाले कोशिका ओ क के समूह को ऊतक कहते हे ऊतक शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग
 वियर नामक वैज्ञानिक ने किया था ऊतकों का अध्यन हिस्टोलोजी के अंतर्गत किया हे निम्न प्रकार के होता
हे
1 उपकला ऊतक--यह  शरीर के  सुरक्षा कबच का कार्य करता हे यह ऊतक त्वचा आमाशय ,आंत ,पित्ताशय ,
                           ह्रदय जीव का निर्माण  करते हे
2 संयोगी ऊतक --यह ऊतक शरीर के अंतर अंगो में चिकनाहट एवं लोच प्रदान करता हे यह विषैले पदार्थो
                           भी रक्षा करता हे रक्त और   लशिका   तरल संयोगी हे
3 तंत्रकीय ऊतक --यह जीवो में चेतना का कार्य करता हे इसलिए इसे  चेतना  भी कहते कहते हे क्रोध भय प्रेम                                 का नियत्रण इन ऊतकों द्वारा किया जाता हे
4-पेशीय ऊतक-- इसे संकुचन शील ऊतक कहते हे यह जीवो में गति एवं प्रचलन में सहायक होते हे मानव शरीर
                          में 639 पेशी पाई  जाती हे
  • मानव शरीर की सबसे बड़ी मासपेशी ग्लूटियस मक्सिमस है तथा मानव शरीर की सबसे छोटी मासपेशी स्टेपीडियस है। 
                                                            मानव शरीर के तत्र  
पाचन  तंत्र ---पाचन तंत्र का कार्य भोज्य पदार्थो के अवयवों को भोजन से प्राप्त कर शरीर के विभिन्न अंगो
                     तक भेजना होता है
                   संपूर्ण प्रक्रिया 5 अवस्थाओं में होती हे  

                   1 अंतर्ग्रहण २ पाचन  ३ अवशोषण ४ स्वांगीकरण ५ मलत्याग
अंतर्ग्रहण -- भोजन को मुखगुहा में ले जाना अंतर्ग्रहण कहलाता है।
पाचन --पाचन की क्रिया मुख् से ही आरम्भ हो जाती हे भोजन से मुख में लार आकर मिलती हे जिसमे
               एंजाइम पाए जाते है। जो भोजन के पाचन में सहायता करते है लार दो एंजाइम पाए जाते है              1 टायलिन --यह भोजन में उपस्थित शर्करा को माल्टोज में बदलता है
2 माल्टेज -- यह माल्टोज को ग्लूकोज में बदलता है
                                                               अमाशय
मुख के बाद अमाशय में पहुँचता है अमाशय में छोटी -2 ग्रथिया होती है जिनसे अम्ल निकलते है
जठर ग्रंथि, पैलोरिक ग्रंथि, पाई जाती है
अमाशय से जठर रस HCL , रेनिन पेप्सिन, लाइपेज एमाइलेज पित्तरस आदि निकलते है
  • HCL भोजन को सड़ने से बचाता है 
  • पेप्सिन प्रोटीन को अपघटित कर सरल पदार्थो में बदलता है 
  • रेनिन नामक एंजाइम दूध की प्रोटीन केसीन का पाचन करता है 
  • लाइपेज बसा को वसा अम्लों में तथा गिलसरोल में बदलता है 
  • एेमाइलेज कार्वोहाइड्रेट का पाचन करता है 
  • अमाशय के पश्चात भोजन छोटी आंत में जाता हैजहा भोजन में आंत्रीय रस मिलता है जो भोजन के पाचन में सहयक होता है 
  • पित्ताशय क्षारीय होता है जो भोजन को अम्लीय से क्षारीय बना देता है 
  • ड्यूटेनियम छोटी आंत का भाग होता है इसमें आकर अग्नाशयी रस मिलते है जिसमे तीन प्रकार के एंजाइम पाए जाते है 
           1  ट्रिप्सम 2 एमाइलेज 3 लाइपेज
  •  ट्रिप्सन प्रोटीन पेप्टोन को अमीनो अम्ल में बदलता है 
  • एमाइलेज स्टार्च को घुलनशील शर्करा में बदलता है 
  • लाइपेज वसाओं को गिलसरोल में परवर्तित करता है 
  • भोजन का पूर्ण पाचन छोटी आंत में होता है छोटी आंत की दीवारों से आंत्रीय  रस निकलते है 
सुक्रोज ---यह शर्करा को फ्रक्टोज तथा ग्लूकोज में बदलता है
लाइपेज ---यह वसा का पाचन करता है
माल्टोज ---यह शर्करा को ग्लेक्टोज तथा ग्लूकोज में बदलता है
  • छोटी आंत की लबाई 22 फ़ीट होती है तथा बड़ी आंत की लबाई 5 फ़ीट होती है 
3 अवशोषण -- भोजन का अवशोषण छोटी आंत में होता है जिसे रुधिर परिसंचरण द्वारा शरीर के विभिन्न
                      भागो में पहुंचाया जाता है इस पचे हुए भोजन को रुधिर में पहुंचना ही अवशोषण कहलाता है
4 स्वांगीकरण -- अवशोषित भोजन को शरीर द्वारा उपयोग में लाया जाना स्वांगीकरण कहलाता है
5 मलपरित्याग --अनपचा भोजन बड़ी आंत में पहुँचता है जहां इसे मल में परवर्तित कर  देते है और यह
                          गुदा द्वार द्वारा बाहर निकलता है
                                                                    यकृत [लीवर]
यकृत मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि होती है उदरगुहा के ऊपरी भाग दाहिनी और स्थित होती है इसका भार
1.5 kg  होता है यकृत के नीचे एक थैली होती है जिसे पित्ताशय कहते है यकृत कार्वोहाइड्रेड ,वसा, प्रोटीन का
उपापचय में भाग लेता है यह शरीर में उत्पन्न विषो को नस्ट कर  शरीर की रक्षा करता है यकृत अमोनिया को
यूरिया में परवर्तित कर  उत्सर्जन में भूमिका निभाता है
  • यकृत प्रोटीन की अधिकतम मात्रा को कार्बोहाइड्रेड में परवर्तित कर देता है 
  • भोजन में वसा की कमी होने पर यकृत कार्वोहाइड्रेड को वसा में बदल देता है 
  • फाइब्रोनोजिन प्रतीन का उत्पादन यकृत में होता है जो रक्त को जमाने सहायक होता है 
  • हिपेरिन नामक प्रोटीन का उत्पादन यकृत में होता है जो शरीर के अंदर  जमने से रुकता है 
  • मानव में भ्रूण अवस्था में RBC का निर्माण यकृत में होता है 
  

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