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BIOLOGY NOTES BY SHAILENDRA SIR..


                                                             कोशिका विज्ञान 


  • प्रत्येक जीवधारी का का शरीर अनेक छोटी -छोटी रचनाओं का बना होता है जिन्हें कोशिका कहते है। 
  • कोशिका  की  खोज 1665 में  रावर्ट हुक ने की ,उनकी पुस्तक मइक्रोग्राफिया है। 

                                              कोशिका विज्ञान की महत्वपूर्ण खोज 


              खोज                                 तिथि                            वैज्ञानिक 
  1. केन्द्रक                                 1831                             रॉवर्ट ब्रॉउन 
  2. जीवद्रव्य                              1839                             पुरकिंजे 
  3. माइटोकॉन्ड्रिय                     1850                              बेंडा 
  4. जीवद्रव्य सिद्धांत                  1861                              शुल्ज 
  5. गाल्जिकाय                          1867                            कैमिलो गाल्जी 
  6.  क्रोमोसोम                           1888                             वाल्डेयर 
  7. E.R.                                    1897                            गार्नियर 
  8. रिबोसोम                             1955                             पैलाडे 
  9. लाइसोसोम                          1957                              डी डुवे 
  • कोशिका के प्रकार ---- रचना के आधार पर कोशिकाएँ दो प्रकार की होती है

                                 1 . प्रोकैरियोटिक  2. यूकैरियोटिक

    1. कोशिका बेलनाकार ,अंडाकार ,गोलाकार ,आयताकार ,बहुभुजी होती है। इसकी लंबाई ,चौड़ाई मोटाई         १०-२०० म्यु  होती है।
    2. सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज़्मा गैलिसेप्टिकम की होती है
    3. सबसे बड़ी कोशिका ऑस्ट्रिच पक्षी के अंडे की होती है।
    4. मनुष्य में कोशिकाओं की संख्या 10 १४  होती है। 

                                                कोशिका के मुख्य भाग 

    कोशिका भित्ति - यह अर्द्ध ठोस एवं बाह्म  परत है जो कोशिका द्रव्य से निर्मित पदार्थ है ,यह शैवालों एवं हरे पौधों में सेल्यूलोज़ से निर्मित होती है। तथा कवकों में काइटिन की बनी होती है। जन्तु कोशिकाओं में इसका अभाव होता है। यह केवल पादप कोशिकाओं में पायी जाती है।

    माइट्रोकॉंड्रिया---ये दण्डाकार, पुटिकामय कोशिकांग है ,प्रत्येक दोहरी झिल्ली से घिरा होता है। इससे एंजाइम द्वारा कोशिकीय शवसन होता है। जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है इसी कारण इसे कोशिका का ऊर्जा घर कहा जाता है  

    लवक---- ये केवल पादप कोशिका में पाए जाते है लवकों में वर्णक होते है। लवक तीन प्रकार के होते है 
         वर्णी लवक -ये ये लवक फलों ,फूलों में पाए जाते है। जैसे -केरोटिन (लाल नारंगी ),जैंथोफिल (पीले रंग ),लाइकोपेन (टमाटर )बीटानिन (चुकंदर )आदि।
      अवर्णी लवक--ये रंगहीन एवं अनियमित आकार के होते है ,यह जड़ ,तने में पाए जाते है। 

      हरित लवक -हरे पौधे इनकी सहायता से प्रकाश संश्लेषण करते है 
     
    गाल्जिकाय -इन्हे डिक्टियोसोम भी कहा जाता है। यह कोशिका भित्ति का निर्माण करता है ,इसमें वसा और प्रोटीन अधिक होते है। इसे कोशिका का यातायात प्रबंधक कहा जाता है 

   लाइसोसोम -यह गोलाकार संरचना है ,इसमें 24 प्रकार के जल अपघटक एंजाइम पाए जाते है इसका मुख्य कार्य अंतः कोशिकी पाचन है। इसे आत्म हत्या की थैली कहा जाता है। 

अंतः परद्रव्य जालिका -इसका अविष्कार 1897 ई.में गार्नियर ने किया। ये नलिकानुमा खोखली रचनाएँ होती  है ,ग्लाइकोजन उपापचय में सहायता करता है। प्रोटटीन संचित करता है 

सूक्ष्म काय -ये थैलीनुमा संरचना है पादप जंतु कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में पाई जाती है। 

केन्द्रक -केन्द्रक ,कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है ये कोशिका में होने वाली जैविक क्रियाओं का नियंत्रण करता है  इसलिए इसे कोशिका का नियंत्रण कक्ष भी कहते है

  • यह स्तनधारियों की  लाल रक्त कणिकाओं में नहीं पाया जाता है। 
  • कुछ प्रोटोजोआ एंव शैवाल व कवकों की कुछ जातियों  में एक से अधिक केन्द्रक पाए जाते है 
  • पादप कोशिका में इस स्थिति  को संकोशिकी तथा जंतु कोशिका ,के बहुकेन्द्रकी कहते है। 
  • जीवाणु तथा नील हरित शैवालो में केंद्रक के स्थान पर क्रोमैटिन पदार्थ कोशिका के मध्य में  फैला रहता है। 
  • ऐसे केन्द्रक में केन्द्रक कला नहीं होती है।  ऐसे केन्द्रक वाली कोशिका  प्रोकैरियाटिक कोशिका कहलाती है। 
  • केन्द्रक में क्रोमोसोम पाए जाते है , इसलिए केन्द्रक का अनुवांशिकी में महत्वपूर्ण स्थान है। 
केन्द्रक के भाग  =  केन्द्रक मुख्यतः 4  भाग होते है ,

(1) केन्द्रक कला = यह एक द्विस्तरीय झिल्ली है।  बाहरी झिल्ली , यह एक  से  जुड़ी होती है , जिसपर राइबोसोम कण होते  है एंव भीतरी झिल्ली सपाट होती है। केन्द्रक कला में जगह  -जगह  पर सूक्ष्मछिद्र होते है, जिसके द्वारा केन्द्रक द्रव्य एंव  कोशिका द्रव्य  में विभिन्न पदार्थो का आदान -प्रदान होता है।   केन्द्रक कला कोशिका विभाजन के दौरान समाप्त हो जाती है।
(2) केन्द्रक द्रव्य = यह एंजाइम गतिविधियों  के केंद्र है।  इसमें गुणसूत्र और केन्द्रिका धसे रहते है , यह तर्कु तंतु निर्माण में भाग लेता है।
(3) केन्द्रिका = इसके चारों ओर केन्द्रक कला अनुपस्थित होता है। यह RNA और फास्फोलिपिड्स से बने होते है। केन्द्रिका , कोशिका विभाजन में प्रोफेज के दौरान समाप्त हो जाता है।  तथा टीलोफेज के दौरान पुनः उत्पन्न हो जाती है।  केन्द्रिका में r-RNA  का संश्लेषण होता  है।
(4) क्रोमैटिन = यह मुख्यतया DNA से बना होता है।  यह अनुवांशिक सूचनाओं को संचित करने व उन्हें एक पीढ़ी से दूसरी में प्रेषित करने के लिए उत्तरदायी  है।  कोशिका विभाजन के समय यह सघन छड़नुमा पिंडो -गुणसूत्रे में संघनित हो जाते है , जो DNA के ही खंड होते है।
क्रोमोसोम अथवा गुणसूत्र = 

  • विभाजन के समय क्रोमेटिन जाल या रेशेदार गुणसूत्रों में बदल जाते है। 
  • गुणसूत्र को सबसे पहले हाफमिशर ने 1848 में pollen Mother Cell Tradescantia में देखा। 
  •  गुणसूत्रो को अनुवांशिकीय वाहक भी कहते है। रासायनिक द्रष्टि से गुणसूत्र न्यूक्लियोप्रोटीन के अणुओ से बने होते है। 
गुणसूत्रों का कार्य = अनुवांशिकी गुणों एंव लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचाना।   





चित्र : पादप कोशिका 
राइबोसोम ---इसकी खोज 1955 में पैलाडे नामक वैज्ञानिक ने की थी।  इसका मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण करना है। इस लिए इसे प्रोटीन की फैक्टरी कहा जाता है। 
  • r -RNA  का  2/3 भाग इससे बना होता है। 
  • ये क्लोरोप्लास्ट ,केन्द्रक ,माइक्रोकोन्ड्रिया ,ER तथा कोशिका द्रव्य में \पाए जाते है। 
सेन्ट्रोसोम ----सेन्ट्रोसोम केवल प्राणी कोशिकाओं में पाया जाता है। यह दो सेन्ट्रियोलो से बना होता है, इसे डिप्लोसम भी कहते है।  इसका मुख्य कार्य कोशिका विभाजन के समय \तर्कु तंतु बनाना है। 

स्फीरोसोम ---इसकी प्रकृति  बासीय होती है ,इसका मुख्य कार्य वसा संश्लेषित करना है। एकल कोशिका झिल्ली की परत से घिरी होती है इसका निर्माण अन्तः प्रद्रव्य जालिका से होती है। 

DNA --- DNA एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल है। जिसका अणुभार उच्च होता है। DNA में डी -ऑक्सीराइबोज शर्करा और फास्फोरिक अम्ल के अलावा एडिनिन , ग्वानिन , थायमिन ,साइटोसीन नामक नाइट्रोजनी क्षारक पाए जाते है। DNA  \डबलहेलिक्स  मॉडल वाटसन एंव क्रीक ने 1953 मे दिया। जिसके लिए उन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार दिया गया। 

  • DNA अनुवांशिक गुणों का वाहक एंव जीवन की रचना में प्रमुख है।  
RNA ---यह केन्द्रक में थोड़ी मात्रा में तथा कोशिकाद्रव्य राइबोसोम  एंव अन्य कोशिकांगो में अधिकता में पाया जाता है।  इसकी संरचना में सदैव एक सूत्र या कुण्डल होता है।  परबाद रीहओ नामक वायरस। RNA  में थायमिन के स्थान पर यूरेसिल नामक क्षारक पाया जाता है। यह मानव बुध्दि की तीव्रता को बढ़ाता है।  प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करता है।


  
जंतु कोशिका














  

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